Home » » सच ढूँढता रहा.....

सच ढूँढता रहा.....

सच ढूंढ्ता रहा शहादत देखिये।
झूठ की हो भी गई ज़मानत देखिये।

अब मौत के आसार हैं ज़्यादा क्योंकि
कड़ी कर दी गई है हिफ़ाज़त देखिए।

भ्रष्टाचार का जंगल तैयार क्यों न हो,
वृक्षारोपण कर रही है सिसायत देखिये।

घरों को बौना रखने के आदेश जो दे गये है‍,
आसमान चूमती उनकी आप ईमारत देखिये।

विज्ञापनों के खूंटे में टंगा अखबार,
क्या लिखेगा सच की इबारत देखिये।


Jika Anda menyukai Artikel di blog ini, Silahkan klik disini untuk berlangganan gratis via email, dengan begitu Anda akan mendapat kiriman artikel setiap ada artikel yang terbit di Creating Website

5 comments:

Udan Tashtari said...

अब मौत के आसार हैं ज़्यादा क्योंकि
कड़ी कर दी गई है हिफ़ाज़त देखिए।


--क्या बात है!! बहुत उम्दा!!

Dr. Amar Jyoti said...

सशक्त भावपक्ष। शिल्प को थोड़ा और कस लें तो सोने में सुहागा हो जाय। बधाई।

प्रकाश बादल said...

आदरणीय समीर लाल भाई,

आपके स्नेह और प्रोत्साहन के लिये शुक्रिया, स्नेह बनाए रखें

प्रकाश बादल said...

आदरणीय डाँ0 साहब,

प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद आपके सुझावों पर गंभीरता से विचार करूंगा । भविष्य में भी आपकी टिप्पणी की प्रतीक्षा रहेगी।

Anuja said...

This is wonderful at all.

Post a Comment

 
Support : Creating Website | Johny Template | Mas Template
Copyright © 2011. prakashbadal2 - All Rights Reserved
Template Modify by Creating Website
Proudly powered by Blogger