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साहित्यिक गतिविधियों से सराबोर रहा वर्ष 2010

                          वर्ष 2010 ढलते-ढलते हिमाचल में साहित्यिक माहौल को गर्म कर गया है। एक ओर वरिष्ठ साहित्यकार युवा रचनाकारों की पीठ थपथपाते नज़र आए तो दूसरी ओर युवा लेखकों के प्रोत्साहन के लिए कई आयोजन हुए। जहाँ अनेक पत्र-पत्रिकाएं इसी वर्ष प्रकाशित हुईं वहीं हिमाचल के बाहर से प्रकाशित होने वाली अनेक साहित्यिक पत्रिकाओ ने हिमाचल में हो रहे सृजनात्मक लेखन का कड़ा नोटिस लेते हुए हिमाचल विशेषांक प्रकाशित करने का निर्णय ले लिया। ग़ैर-सरकारी साहित्यिक संस्थाओं की जो सक्रियता इस वर्ष नज़र आई वो इससे पहले कभी देखने को नहीं मिली। अनेक युवा लेखकों के संग्रह जहां चर्चा का विषय रहे, वहीं इनकी कविताओं को पाठकों ने हाथों-हाथ लिया। इसके विपरीत वरिष्ठ साहित्यकारों ने लेखन के प्रति इक्का-दुक्का ही सक्रियता दिखाई, फिर भी नव-लेखन को प्रोत्साहित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
                              ‘विपाशा’ पत्रिका द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता में ऊना के युवा कवि कुलदीप शर्मा ने इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर यह साबित कर दिया कि हिमाचल में युवा लेखन किसी से पीछे नहीं। दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश के साहित्यिक मंच ‘शिखर’ ने काफी अरसे बाद युवा रचनाकारों को लेखन के लिये प्रेरित करने में अहम भूमिका अदा की। युवा कवि आत्मा राम रंजन को ‘शिखर’ सम्मान दिया जाना इसका स्पष्ट प्रमाण तो है ही साथ ही यह प्रयास युवा और वरिष्ठ लेखकों के बीच की खाई को भी पाटता है। नव लेखन में सम्भावनाओं की कोंपलें भी फूटती नज़र आईं हैं। युवा कवि-कहानीकारों ने इस वर्ष देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उपस्थिति दर्ज करा कर गंभीर लेखन का बिगुल बजाया है। इसी बीच अकादमी सचिव पद पर तुलसी रमण के आसीन होने से काफी समय से चली आ रही अटकलों को भी विराम  मिल   गया। युवा कवि सुरेश सेन ‘निशांत’ का कविता संग्रह ‘वो जो लकडहारे नहीं है’ और ‘आकंठ’ का अतिथि संपादन काफी चर्चा में रहा । प्रदेश से बाहर प्रकाशित होने वाली दो पत्रिकाओं ने हिमाचल  में लिखे जा रहे हिन्दी साहित्य पर हिमाचल विशेषांक प्रकाशित करने का निर्णय ले लिया। इस कड़ी में पहल करने में ‘आकंठ’ पत्रिका बाज़ी मार ले गई और ऊना में इसका विमोचन समारोह एक सफल आयोजन कहा जा सकता हैं। बहुत सी कमियां रह जाने के बावजूद भी इस पहल के लिए पत्रिका के संपादक मंडल की सराहना की जानी चाहिए। इसी प्रकार के दूसरे प्रयास के रूप में आरा (बिहार) से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘जनपथ’ का हिमाचल अंक भी वरिष्ठ कहानीकार राज कुमार‘राकेश’ के संपादन में प्रकाशित होने की कतार में हैं।
                                 हिमाचल के साहित्य जगत में वर्ष 2010 में अपनी तरह के अनूठे प्रयास हुए हैं, जो साहित्य जगत में एक तिलमिलाहट पैदा करते हैं। बिलासपुर में रत्न चंद ‘निर्झर’ ने हमेशा की तरह साहित्य में सक्रियता दिखाते हुए ‘हिमाचल साहित्यकार सभा’ का गठन कर अनेक गोष्ठियों को अंजाम दिया है। ‘शिखर’ सम्मान के बाद ‘‘सेतु’’ सम्मान घोषणा भी ध्यानाकर्षण करती है। दियोटसिद्ध में भाषा अकादमी और उर्दू अनुसंधान केंद्र सोलन के संयुक्त तत्वाधान में साहित्यकारों की बहुभाषी गोष्ठी ने भी रंग दिखाया है, इस गोष्ठी में जहां गंभीर चर्चाएं हुई,वहीं विक्रम मुसाफिर जैसे तेज़ तर्रार कवि खुल कर सामने आए आए, प्रदीप सैनी,राजीव त्रिगर्ती, निधि शर्मा और अरुणेश कुछ ऐसे युवा कवि हैं जिनकी रचनाएं ध्यानाकर्षित करवाती हैं। लाहुल की घाटियों से निकलने वाली अजेय की कविताओं से साहित्य का तापमान सरगर्म हो उठता है। योगेश्वर शर्मा की ‘पानी पी लो भैया’ कहानी उन्हें एक बार फिर हिमाचल के कहानीकारों में सबसे अलग ला खड़ा करती है। वर्ष 2010 में प्रो० चमन लाल गुप्त, ओम अवस्थी, और निरंजन देव शर्मा आलोचकों के रूप में सक्रिय नज़र आते हैं।
                       Megazine collageकाफी प्रतीक्षा के बाद कुल्लू से निरंजन देव शर्मा के सम्पादन में प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘असिक्नी’ का दूसरा अंक भी 2010 की ही उपलब्धि है, पत्रिका में रोचक सामग्री तो पढ़ने को मिलती है, साथ ही साथ इसकी साज सज्जा और छपाई भी अच्छी है। ‘हिमप्रस्थ’ पत्रिका का प्रकाशन भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। यादवेंद्र शर्मा के संपादन में इस पत्रिका का स्तर सरकारी बंदिशों के बावजूद भी साहित्य के क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। गुरमीत बेदी ऊना से ‘पर्वत राग’ का निरंतर प्रकाशन कर अनेक प्रतिभाओं को समक्ष लाने में सफल हुए हैं। वहीं मुम्बई में कुशल कुमार और वरिष्ठ साहित्यकार अनूप सेठी ‘हिमाचल मित्र’ पत्रिका का निरंतर प्रकाशन कर साहित्य की अलख जगाए हुए हैं इस पत्रिका की रोचक सामग्री में हिमाचल के कहानीकारों पर प्रकाशित होने वाला ‘मेरी प्रिय कहानी’ स्तम्भ विशेष ध्यान खींचता हैं। ।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और साहित्यकार देवेन्द्र गुप्ता के संपादन में ‘सेतु’ का कहानी विशेषांक भी 2010 में प्रकाशित हुआ है और पत्रिका चर्चा का विषय रही है। इस पत्रिका का हिमाचल से निरंतर प्रकाशन हिमाचल की साहित्यिक सक्रियता को दर्शाता है। साहित्यिक गतिविधियों सर्वाधिक सक्रिय रहने वाले स्थान ठियोग में साहित्यिक तापमान में गिरावट देखने को मिली। ‘सर्जक’ ने एकाध गोष्ठी कर साहित्यिक आहुती तो डाली लेकिन अरसे से ‘सर्जक’ पत्रिका की उम्मीद लगाए लेखकों को इस बार भी निराशा ही हाथ लगी है। मुरारी शर्मा, सुरेश शांडिल्य, ओम भारद्वाज, इशीता आर गिरीश की कहानियां ध्यान खींचती है।
                                   हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनिवास श्रीकांत के संपादन में ’’कथा में पहाड़’’ शीर्षक से प्रकाशित कहानी संकलन भी 2010 की ही उपलब्धि है, जिसमें हिमाचल प्रदेश सहित भारत के पर्वतीय राज्यों के बहुत से वरिष्ठ एवम युवा कहानीकारों की कहानियां प्रकाशित हैं। कुल्लू में ‘भारत भारती स्कूल’ की नवलेखन को लेकर होने वाली कार्यशाला भी चर्चाओं में रही, वहीं कुल्लू के ही हरिपुर महाविद्यालय में हिन्दी विpramukha gatividhiyanभाग की विभागाध्यक्षा सुश्री उरसेम लता और प्राचार्य कमलकांत ने युवाओं में साहित्य के प्रति रुझान को बढ़ाने के लिए एक नया प्रयोग कर सार्थक पहल की ।  
हरिपुर(कुल्लू) महाविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक
हिमाचल के पाँच कहानीकार और लेखकों की रचनाओं पर महाविद्यालय के विभिन्न कक्षा के छात्रों से समीक्षाएँ करवाई गईं और ‘हिमाचली कवियों व कथाकारों का हिन्दी साहित्य में योगदान’ शीर्षक से एक पुस्तक का प्रकाशन भी किया गया, जिसमे ये समीक्षाएं शामिल हैं। यह आयोजन सराहनीय और बेहद चर्चा का विषय रहा। सरकार द्वारा यशपाल जयंती, गुलेरी जयंती सहित निर्धारित अनेक आयोजन भी उल्लेखनीय रहे। वहीं भाषा अकादमी का कुल्लू में पहाड़ी भाषा का आयोजन भी इसी वर्ष की साहित्यिक उपलब्धियों में है। बिलासपुर में लोक गायिका गंभरी देवी पर अकादमी द्वारा एक डाक्यूमैंटरी फिल्म भी बनाई गई। बिलासपुर की ज़िला भाषाधिकारी डॉ० अनिता शर्मा ने हिन्दी और इंटरनैट पर अनेक गोष्ठियां बिलासपुर में करवाईं जिसका लाभ लेखकों सहित कई सरकारी कर्मचारियों ने भी लिया।

                             प्रकाशित संग्रहों में श्रीनिवास श्रीकांत का ‘‘हर तरफ समंदर है’’ ग़ज़ल संग्रह भी प्रमुख है, राजीव त्रिगर्ती का कविता संग्रह ‘गूलर का फूल’ यूँ तो 2008 में प्रकाशित हुआ लेकिन चर्चाओं में 2010 में आया। कुंअर दिनेश का काव्य संग्रह ‘धूप दोपहरी’ भी ध्यान खींचता है। कहानी संग्रहों में युवा साहित्यकार एवम पत्रकार मुरारी शर्मा के कहानी ‘बाणमूठ’ ने अपना विशेष स्थान बनाया है। संग्रह को हिमाचल के बाहर कई सम्मान भी इसी वर्ष प्राप्त हुए हैं। patrikaenएस. आर. हरनोट का कहानी संग्रह ‘मिट्टी के लोग’ भी 2010 की ही उपलब्धि है। बद्री सिंह भाटिया का कहानी संग्रह ‘वह गीत हो गई’ भी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है। के. आर.भारती का कहानी संग्रह ‘‘गोरख एवम अन्य कहानियां' भी एक संग्रहणीय कृति बना है। सुशील कुमार ‘फुल्ल’ का ‘होरी की वापसी’ और जोगिन्द्र यादव का ‘माँ का बलिदान’ संग्रह भी इसी वर्ष प्रकाशित हुए हैं। सुदर्शन वशिष्ठ का यात्रा वृतांत ‘हिमालय गाथा’ के दो अंक इसी वर्ष के अंतिम दिन प्रकाशित हुए हैं। प्रकाशनाधीन संग्रहों में रेखा का काव्य संग्रह ‘तेरा कौन रंग रे’, तेजराम शर्मा का ‘नाटी का समय’ आदि संभावित संग्रह हैं। prem bharadwajकहानीकार राजकुमार राकेश भी बहुत सारे संग्रहों की पांडुलिपियों को तैयार करने में जुटे हुए हैं। सुदर्शन वशिष्ठ, दीनू कश्यप, अवतार एनगिल आदि लेखकों के के संग्रहों की रूप-रेखा भी वर्ष 2010 में बन चुकी है और वर्ष 2011 तक इनके प्रकाशित हो जाने की भरपूर संभावनाएं हैं।
                            दिन-ब-दिन बढ़ते इंटरनैट के महत्व को भी हिमाचल के साहित्यकारों ने नज़रअंदाज़ नहीं किया है, ब्लॉग की दुनियाँ में द्विजेंद्र ‘द्विज’ रोशन जायसवाल ‘विक्षिप्त’ सहित अनेक लेखकों के ब्लॉग इंटरनैट पर नज़र आते हैं, जो साहित्य और संस्कृति की अनेक झलकियाँ दिखाते हैं। ब्लॉग की दुनियाँ में रतन चंद ‘रत्नेश’ ने भी बहुत सी रचनाएं प्रस्तुत की हैं, इसी तरह अजेय,निरंजन देव शर्मा, अनूप सेठी, नवनीत शर्मा,तुलसी रमण, श्रीनिवास श्रीकांत, तेज राम शर्मा, दीनू कश्यप, मुरारी शर्मा, ओम भारद्वाज और मोहन साहिल आदि लेखकों के अपने ब्लॉग है। 
साहित्य में ऑनलाईन योगदान के लिए चर्चित साहित्यिक वैबसाईट ‘कविता कोश’ में भी हिमाचल के साहित्यकारों के पूरे काव्य संग्रह ऑनलाईन पढ़ने को मिल जाते हैं। ‘कविता कोश’ के इस सपने को साकार करने में कोश के संस्थापक और युवा कंप्यूटर इंजीनियर ललित कुमार और लेखक अनिल जनविजय का महत्वपूर्ण योगदान है, हिमाचल के रचनाकारों को ऑनलाईन जोड़ने की पहल युवा ग़ज़लकार द्विजेन्द्र ‘द्विज’ ने की है। ‘कविता कोश’ इंटरनैट में साहित्य की एकमात्र ऐसी साईट है जहाँ हिन्दी साहित्य सहित साहित्य की अनेक विधाओं का वृहद संग्रह है। हिमाचल से संबंध रखने वाले कुछ साहित्यिक ब्लॉग और बैवसाईटो में कुछ नाम जो ध्यान में आते हैं उनका विवरण इस प्रकार है:-blog collage
                              sambhavit sangraha                                   वर्ष 2010 की साहित्यिक गतिविधियां जहां नए वर्ष में हिमाचल प्रदेश में गंभीर और सारगर्भित लेखन के प्रति आश्वस्त करती हैं, वहीं इस वर्ष हिमाचल के साहित्यिक गलियारों में रेखा और अवतार एनगिल जैसे वरिष्ठ साहित्यकारों के स्वास्थ्य में सुधार होने की खबरें भी सुकून देती हैं। और साथ ही साथ यह उम्मीद भी जगती है कि वर्ष 2011 में ये साहित्यकार पुन: नई कविताओं और जोश के साथ युवाओं के बीच कविताएँ पढ़ते नज़र आएंगे। वरिष्ठ साहित्यकार रतन सिंह ‘हिमेश’ के ठहाकों से फिर माल रोड़ गूँज उठे । अनिल राकेशी, अरविंद रंचन और कवियत्रि सरोज परमार का भी कोई सुराग़ मिले, ऐसी उम्मीद है। मोहन ‘साहिल’ की कविता ठियोग से शिमला के रिज मैदान पर इतराती नज़र आए और सत्येन शर्मा का गाना ‘हाल पूछने आए ठाकुर’ कानों में मिशरी घोले। शबाब ‘ललित’ के शेरों की महफिल सजे, लाहौल से अजेय की कविता हमेशा की तरह खुश्बू की तरह फैल जाए। नवनीत शर्मा अपने तेवर में नई-नई रचनाएं लिखें। सुन्दर लोहिया और योगेश्वर शर्मा की कहानियाँ फिर रस्ता दिखाए। दीनू कश्यप का कविता संग्रह किसी हसीन सपने सा दस्तक दे। कुलराजीव ‘पंत’ की कविताएं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को छोड़कर भारत भ्रमण पर निकल पड़े, यादवेन्द्र शर्मा की कविताएँ फिर से आंदोलित करें। द्विजेंद्र‘द्विज’ की गज़लें गूँजे, चंद्र रेखा ‘ढडवाल’ के स्वर फिर से कहे ‘ताल सरोवर पनघट तेरे, अपनी तो बस प्यास रे जोगी’ मधुकर भारती की पोटली से ‘सर्जक’ बाहर निकल आए। नया वर्ष साहिय का एक नया सूरज लेकर उगे। इन्हीं खट्टी-मीठी साहित्यिक यादों को लिए वर्ष 2010 का सूर्य मानो यह कहते हुए डूब रहा है:- अलविदा 2010 स्वागत 2011।
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11 comments:

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

बस प्यास रे जोगी’ मधुकर भारती की पोटली से ‘सर्जक’ बाहर निकल आए। नया वर्ष साहिय का एक नया सूरज लेकर उगे। इन्हीं खट्टी-मीठी साहित्यिक यादों को लिए वर्ष 2010 का सूर्य मानो यह कहते हुए डूब रहा है:- अलविदा 2010 स्वागत 2011।

shaadaar prastuti... bahut khoosoorat post

Happy Blogging

navneet sharma said...

प्रकाश भाई के परिश्रम, परिपक्‍वता और पसीने से पैदा हुई गंध ब्‍लॉग में उपस्थित है। लेखा जोखा करना और पूरे दिल से करना आसान काम नहीं है। एक सलाह है...ब्‍लॉग से अधिक दूर रहना आपको सूट नहीं करता।

अरुण डोगरा रीतू said...

भाई बादल आपने आज हिमाचल की साहित्‍य यात्रा को एक ही पन्‍ने पर समेट कर साबित कर दिया कि लिखाड किसे कहते हें
आपके लिए दो लाइने लिख रहा हूं
हिमालय की उंचाई हो तुम गगन से बात करते तभी तो हम जैसे कई हैं तुम पर मरते
हम तो किनारे हैं तुमने तो सागर ही समेट दिया है हमारे पास
आगे भी यही आशा है तुमसे हमेशा बनाए रखना यही विश्‍वास

pradeep said...

badal bhai....aapke dhwara kiya gaya lekha jokha bada hi chokha hai.....aapki nazar har choti badi ghatna par bani rahi...ye kaabil-e-tarif hai...aapke naye blog ka intzaar rahega.......

Rajeev Bharol said...

प्रकाश जी,
२०१० की सार साहित्यिक गतिविधियों को एक पोस्ट में समेट कर आपने गागर में सागर भरने का काम किया है. सारा पोस्ट पढ़ कर काफी जानकारी मिली और बहुत अच्छा भी लगा. धन्यवाद.
अगली बार जब भी शिमला आऊँगा तो आपसे ज़रूर मिलूँगा.

प्रकाश बादल said...

आशीष भाई तो मुझे प्रोत्साहित करने के लिए मेरी तारीफ यूँ ही करते रहते हैं, लेकिन आशीष भाई का कमैंट आ जाना बहुत मायने रखता है।
शुक्रिया नवनीत भाई और अरुण भाई,
नवनीत जी आपने मेरी मेहनत का अंदाज़ लगाकर जिस प्रकार बखान किया है वो मेरे लिए बहुत ही ऊर्जावर्धक है। इससे बड़ा पारिश्रमिक इस लेख के लिए मुझे कुछ और मिल भी नहीं सकता। अरुण भाई स्नेह बनाए रखें।
राजीव भाई, शिमला आएँ तो मिलें, आपका स्वागत है। आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

अनूप सेठी said...

प्रकाश जी, इस संकलन के लिए बहुत बहुत बधाई. मैं समझ सकता हूं साहित्यिक घटनाओं पर लगातार नजर रखना, उन्‍हें तटस्‍थ रहकर समेटना, वह भी साल भर की सामग्री को, आसान नहीं है. बहुत धैर्य, मेहनत, जोश, बल्कि जुनून की जरूरत होती है.
अब सुझाव है कि आप कृपा कर हिमाचल की साहित्यिक सांस्‍कृतिक गतिविधियों से अपने ब्‍लाग के माध्‍यम से हमें परिचित कराते रहें. क्‍या ही अच्‍छा हो कि हमें हर पत्रि‍का के नए अंक के आने की खबर और उसकी सामग्री की झलक आपके ब्‍लाग से मिल जाए. प्रदेश में खेले गए नाटक की समीक्षा पढ़ने के लिए हम आपके ब्‍लाग का फेरा लगाएं. संगीत सभा हो या साहित्यिक गोष्‍ठी, सूचना, समीक्षा यहीं पर मिल जाए.
आप में सामर्थ्‍य है. आप कर ले जाएंगे.
नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं.

संजय भास्कर said...

आदरणीय प्रकाश जी
नमस्कार !
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं.

हरकीरत ' हीर' said...

प्रकाश जी ,
इतनी विस्तृत जानकारी हिमाचल की ....?
आप तो दिलोजान से साहित्य के साथ जुड गए हैं .....
आपका साहित्य प्रेम देख गद गद हूँ ....
बधाई स्वीकारें .....!!

niranjan dev sharma said...

साल भर के घटना क्रम पर नजर रखना मेहनत का कम है। आपने पूर्वग्रह मुक्त हो कर लिखा है । यह और भी महत्वपूर्ण है। अपने आप में यह हिमाचल कोष की तरह का काम है।इसे जारी रखें ।
शुभकामनाएँ ।

Anonymous said...

अमर उजाला में हिमाचल के साहित्‍य का लेखा जोखा संक्षिप्‍त रूप में अपनी चुनव यात्रा से लौटने पर दौ जनवरी को पढा था
विस्‍तृत रूप में ब्‍लाग में पढने को मिला है
आपने अपने इस ब्‍लाग के माध्‍यम से पैनी दृष्टि के साथ हर साहित्यिक गतिविधि को पेश किया है
इस प्रयास के लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं और वर्ष 2011 की गतिविधियों पर भी आपकी गिद़ध्‍ा दृष्टि और काक चेष्‍टा व बको ध्‍यान बना रहे ऐसी मेरी आशा है

सदभावनाओं सहित
निर्झर

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