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उसका चेहरा



नज़्म,कविता,शेर, ग़ज़ल उसका चेहरा।
लहलहाती एक फसल उसका चेहरा।


वो मुझको  तो अपना सा ही लगता है,
चाहे असल हो या नकल उसका चेहरा।


हर दिल को मुमताज़ कर दे पल भर में,
शहाजहाँ का  ताजमहल  उसका चेहरा।


घड़ी भर को ही तो हम ठहरे थे,

समय जैसे गया निकल उसका चेहरा।
 

दरिया में  कंकर जैसे कोई मार गया,
गौर से देखो ऐसी हलचल उसका चेहरा।
 

मंहगाई में ग़रीबों से सब धंसते जाएं,
नहीं है वैसा, पर है दलदल उसका चेहरा,
 

फुटपाथ पर कई रोज़ के भूखे सा मैं,
इसी भूख में आटा- चावल उसका चेहरा।
 

पल भर में है रविवार की छुट्टी सा और,
पल में होता सोम-मंगल उसका चेहरा।
 

मंहगाई भत्तों की आस में बाबू से सब,
सियासी झाँसे सा चपल उसका चेहरा।
 

रस्ता भूलूँ उसमें, या फिर लुट जाऊँ मैं,
मुझको लगता है इक चंबल उसका चेहरा।
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13 comments:

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब जी, धन्यवाद

kshama said...

रस्ता भूलूँ उसमें या फिर लुट जाऊँ मैं,
मुझको लगता है इक चंबल उसका चेहरा।
Kahan se soojh jata hai ye sab?

दिगम्बर नासवा said...

चलिए किसी के भी बहाने आप सक्रिय तो हुवे प्रकाश जी ....
बहुत अच्छा लगा आपकी ग़ज़ल पढ़ कर ... मज़ा आ गया ....

राज भाटिय़ा said...

आप ने जो सवा्ल पुछा कि मुझे केसे पता चल जाता है नयी पोस्ट का... इस बात का जबाब तो आप को मेरे ब्लांग पर ही मिल जायेगा, पाराया देश पर जा कर राईट साईड मै जा कर देखे... आप भी यह कर सकते है. धन्यवाद

manu said...

अल्लाह जाने बह्र में कैसे आयेगा,
बैंगन, तीतर, मुर्गी और सैंडल उसका चेहरा
इसमें एक मलमल शब्द भी डालना है...पर ज्यादा ही मीटर बड़ा हो जाएगा



अरुण ऋतू जी का आभार...कि उनके ब्लॉग फोलो करने के बाद आप वापस लिखने के मूड में आये.......
इतना समय तो आपने ब्लॉग बंद करने के बाद भी नहीं लगाया था ..पोस्ट डालने में..........................

अरुण जी,
आप पहले ही ये ब्लॉग फोलो कर लेते..तो अब तक हमें हजारों ग़ज़ले पढने को मिल चुकी होतीं...

प्रकाश बादल said...

मुझ से क्या चाहते हो उगलवाना मनु भाई,
मैं भी तो हूँ आपका ही अनु भाई!

Mithilesh dubey said...

बहुत सुंदर ।

boletobindas said...

अरे यार प्यार की इंतेहा हो गई. भूखे पेट की रोटी में भी उसका चेहरा......ये पढ़कर तो आधे पेट खाने वाले करोड़ों भाईयों की याद आ गई।

Prem Farrukhabadi said...

रस्ता भूलूँ उसमें या फिर लुट जाऊँ मैं,
मुझको लगता है इक चंबल उसका चेहरा।
वाह!! क्या कहने.बधाई !

ana said...

bahut sundar rachana ..........

Udan Tashtari said...

रस्ता भूलूँ उसमें या फिर लुट जाऊँ मैं,
मुझको लगता है इक चंबल उसका चेहरा

-वाह प्रकाश भाई..बहुत खूब कहा..बेहतरीन.

निर्मला कपिला said...

हर दिल को मुमताज़ कर दे पल भर में,
शहाजहाँ का ताजमहल उसका चेहरा।

रस्ता भूलूँ उसमें या फिर लुट जाऊँ मैं,
मुझको लगता है इक चंबल उसका चेहरा
वाह बहुत खूब। बधाई आपको।

अनुपमा पाठक said...

bahut sundar abhivyakti!!!!

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